कुंडली के बारे में जानते -पढ़ते -सुनते समय नवमांश कुंडली का जिक्र आप लोगों ने कई बार सुना होगा।
नवमांश = नवम + अंश अर्थात राशि के नवम अंश को नवमांश (D-9) कहते है.
कहने को यह कुंडली का एक छोटा भाग है परन्तु ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है की "नवमांशे कलतराणां दशमांशे महत्फलम " अर्थात नवमांस कुंडली से पति पत्नी का विचार किया जाता है। नवमांश कुंडली को देखकर जीवनसाथी के बारे में सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकती है.
नवमांश कुंडली से जीवन के लगभग सभी प्रश्नों का उत्तर ज्ञात किया जा सकता है। शिक्षा से सम्बन्धित, व्यवसाय से सम्बन्धित, विवाह से सम्बन्धित, माता पिता एवं संतान से सम्बन्धित प्रश्नों के उत्तर आप नवमांश कुण्डली से जान सकते हैं।
फलित ज्योतीष में नवांश कुंडली का बहुत महत्व होता है , इसी के आधार पर जातक का भाग्य नीर्धारीत होता है
ज्योतिष के अध्ययन में लग्न कुंडली के अलावा 15 कुंडलियां सहायक होती हैं. लेकिन बिना नवमांश कुंडली देखे, लग्न कुंडली पर विचार नहीं हो सकता.
सामान्यतः आप सभी को ज्ञात है कि कुंडली में नवें भाव को भाग्य का भाव कहा गया है। यानि आपका भाग्य नवां भाव है। इसी प्रकार भाग्य का भी भाग्य देखा जाता है ,जिसके लिए नवमांश कुंडली की आवश्यकता होती है। जैसे आपके विवाह के लिए , शिक्षा के लिए आदि नवांश कुंडली देखते है.
नवांश कुण्डली अथवा D-9 कुण्डली अत्यधिक महत्वपूर्ण कुण्डली है वैसे तो इसे जीवनसाथी के लिए देखा जाता है कि वह कैसा होगा और उसके साथ संबंध कैसे रहेगे आदि बातें देखी जाती हैं. लेकिन इस कुण्डली को जीवन के हर क्षेत्र के लिए भी देखा जाता है. जो योग जन्म कुण्डली में बनते हैं उनकी पुष्टि इस कुडली में होती है.
जन्म कुण्डली शरीर है तो नवांश कुण्दली को आत्मा माना जाता है.यदि बिना नवमांश कुंडली देखे केवल लग्न कुंडली के आधार पर ही फल कथन किया जाए तो फल कथन में त्रुतिया रह सकती है या फल कथन गलत भी हो सकता है।
कहते है की जिस व्यक्ति की जन्म कुन्डली एवं नवांश कुण्डली में एक ही राशि होती है तो उसका वर्गोत्तम नवमांश होता है वह शारीरिक व आत्मिक रूप से स्वस्थ होता है।"
अगर आप भी शिक्षा से सम्बन्धित, व्यवसाय से सम्बन्धित, विवाह से सम्बन्धित, माता पिता एवं संतान से सम्बन्धित प्रश्नों के उत्तर जानना चाहते है तो आज ही अपनी नवमांस कुंडली यहाँ से डाउनलोड
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कुंडली के बारे में जानते -पढ़ते -सुनते समय नवमांश कुंडली का जिक्र आप लोगों ने कई बार सुना होगा।
नवमांश = नवम + अंश अर्थात राशि के नवम अंश को नवमांश (D-9) कहते है.
कहने को यह कुंडली का एक छोटा भाग है परन्तु ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है की "नवमांशे कलतराणां दशमांशे महत्फलम " अर्थात नवमांस कुंडली से पति पत्नी का विचार किया जाता है। नवमांश कुंडली को देखकर जीवनसाथी के बारे में सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकती है.
नवमांश कुंडली से जीवन के लगभग सभी प्रश्नों का उत्तर ज्ञात किया जा सकता है। शिक्षा से सम्बन्धित, व्यवसाय से सम्बन्धित, विवाह से सम्बन्धित, माता पिता एवं संतान से सम्बन्धित प्रश्नों के उत्तर आप नवमांश कुण्डली से जान सकते हैं।
फलित ज्योतीष में नवांश कुंडली का बहुत महत्व होता है , इसी के आधार पर जातक का भाग्य नीर्धारीत होता है
ज्योतिष के अध्ययन में लग्न कुंडली के अलावा 15 कुंडलियां सहायक होती हैं. लेकिन बिना नवमांश कुंडली देखे, लग्न कुंडली पर विचार नहीं हो सकता.
सामान्यतः आप सभी को ज्ञात है कि कुंडली में नवें भाव को भाग्य का भाव कहा गया है। यानि आपका भाग्य नवां भाव है। इसी प्रकार भाग्य का भी भाग्य देखा जाता है ,जिसके लिए नवमांश कुंडली की आवश्यकता होती है। जैसे आपके विवाह के लिए , शिक्षा के लिए आदि नवांश कुंडली देखते है.
नवांश कुण्डली अथवा D-9 कुण्डली अत्यधिक महत्वपूर्ण कुण्डली है वैसे तो इसे जीवनसाथी के लिए देखा जाता है कि वह कैसा होगा और उसके साथ संबंध कैसे रहेगे आदि बातें देखी जाती हैं. लेकिन इस कुण्डली को जीवन के हर क्षेत्र के लिए भी देखा जाता है. जो योग जन्म कुण्डली में बनते हैं उनकी पुष्टि इस कुडली में होती है.
जन्म कुण्डली शरीर है तो नवांश कुण्दली को आत्मा माना जाता है.यदि बिना नवमांश कुंडली देखे केवल लग्न कुंडली के आधार पर ही फल कथन किया जाए तो फल कथन में त्रुतिया रह सकती है या फल कथन गलत भी हो सकता है।
कहते है की जिस व्यक्ति की जन्म कुन्डली एवं नवांश कुण्डली में एक ही राशि होती है तो उसका वर्गोत्तम नवमांश होता है वह शारीरिक व आत्मिक रूप से स्वस्थ होता है।
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