आपकी कुंडली में मंगलदोष है या नहीं और है तो उसका आप पर क्या प्रभाव पड़ेगा
कुंडली में कई प्रकार के दोष बताये गए है इन्ही दोषो में एक दोष होता है मांगलिक दोष जिसे मंगल दोष कुज दोष, भौम दोष भी कहते है।
ये दोष तब होता है जब कुण्डली में लग्न, चैथे, सातवें, आठवें या 12वें स्थान में मंगल बैठा हो। कुण्डली के इन पाॅच भावों में मंगल के बैठने पर ही मंगलिक दोष होता है।
इनके आलावा सभी भावो में भी मंगल अलग तरीके से अच्छे बुरे प्रभाव दे सकता है परन्तु उसे मांगलिक दोष नहीं कहेगे .
मांगलिक शब्द आधुनिक जीवन मे एक ऐसा शब्द बन गया है कि लोग इसका नाम सुनकर ही एक बार तो भय खा जाते है।
जिन लोगो की कुंडली में मंगल दोष होता है उनकी शादी में बेहद परेशानियां आती हैं।इसमें कन्या अपने पति के लिए तथा पति कन्या के लिए घातक होता है।ऐसा इसलिये क्योंकि मंगल ग्रह को अकेले रहना पसंद है और इस प्रकार अगर कोई अन्य ग्रह उसके समीप आता है तो वह उससे झगड़ा कर लेता है। इसी प्रकार मांगलिक व्यक्ति लंबे समय के लिए अपने साथी को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं।
कुण्डली मे लग्न, चैथे, सातवें, आठवें या 12वें स्थान में मंगल होने पर क्या प्रभाव पड़ता है.
जैसे की
अगर आपकी कुंडली के लग्न में मंगल हो तो स्वास्थ्य पर दुषप्रभाव पड़ता हैं, व्यक्ति स्वभाव से उग्र एवं जिद्दी होता है।
चौथे स्थान में मंगल होने पर जीवन में भोगोपभोग की समाग्री की कमी रहती है।
सातवें स्थान में स्थिति मंगल दाम्पत्य सुख (रति सुख) की हानि तथा पत्नी के स्वास्थ्य को भी हानि पहुँचाता है।
आठवें स्थान में मंगल कभी-कभी दम्पति मे से किसी एक की मृत्यु भी करा सकता है।
12वें स्थान में स्थित मंगल व्यकित के क्रय शक्ति (व्यय) को प्रभावित करने के साथ सप्तम स्थान पर अपनी दृष्टि के द्वारा साक्षात दामपत्य सुख को प्रभावित करता है।
जैसे की
अगर आपकी कुंडली के लग्न में मंगल हो तो स्वास्थ्य पर दुषप्रभाव पड़ता हैं, व्यक्ति स्वभाव से उग्र एवं जिद्दी होता है।
चौथे स्थान में मंगल होने पर जीवन में भोगोपभोग की समाग्री की कमी रहती है।
सातवें स्थान में स्थिति मंगल दाम्पत्य सुख (रति सुख) की हानि तथा पत्नी के स्वास्थ्य को भी हानि पहुँचाता है।
आठवें स्थान में मंगल कभी-कभी दम्पति मे से किसी एक की मृत्यु भी करा सकता है।
12वें स्थान में स्थित मंगल व्यकित के क्रय शक्ति (व्यय) को प्रभावित करने के साथ सप्तम स्थान पर अपनी दृष्टि के द्वारा साक्षात दामपत्य सुख को प्रभावित करता है।
कुंडली में मांगलिक दोष होने पर मंगल के प्रभाव से आपके जीवन में ये इफ़ेक्ट पड़ता है. जैसे की
मांगलिक दोष विवाह में रोड़ा पैदा कर सकता है जैसे की शादी तय न होना।
रिश्ता तय होने के बावजूद टूट जाना.
Overage लंबी आयु के पश्चात् भी Marriage नहीं होना.शादी के बाद पति पत्नी में लगातार तकरार रहना.
गृहस्त का सुख न मिलना.
पति पत्नी में बढ़ते वैर की वजह से फिर तलाक का ख़तरा
धन की कमी, Business में loss, accidents आदि होना।
मांगलिक दोष विवाह में रोड़ा पैदा कर सकता है जैसे की शादी तय न होना।
रिश्ता तय होने के बावजूद टूट जाना.
Overage लंबी आयु के पश्चात् भी Marriage नहीं होना.शादी के बाद पति पत्नी में लगातार तकरार रहना.
गृहस्त का सुख न मिलना.
पति पत्नी में बढ़ते वैर की वजह से फिर तलाक का ख़तरा
धन की कमी, Business में loss, accidents आदि होना।
कुंडली में मंगल दोष अधिकतर 75 % लोगो की कुंडली में होता हैं पर 50% लोगो का दोष किसी न किसी वजह से खतम हो जाता है
जैसे की
अगर आपके जन्मकुण्डली में मंगल प्रथम भाव (लग्न) में मेष राशि का हो, चतुर्थ भाव में वृश्चिक राशि का हो, सप्तम भाव में मीन राशि का हो, अष्टम भाव में कुम्भ को हो तथा द्वादश भाव में धनु राशिका हो तो मांगलिक दोष नहीं लगता है।
See Translation
No comments:
Post a Comment